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भजन - 1 प्रथम गुरु की वन्दना ( 3-4 पंक्तियाँ )

करुणामय निष्काम प्रेम प्रभुता से भक्त बनाने वाले , कल्कि की भक्ति वितरणकर आश की ज्योति जगाने वाले । अधर्म से थी घृणा सदा शुभप्रद उपदेश सुनाने वाले, मुझ जैसे विचलित प्राणी को अमर मार्ग में लाने वाले । निवेदन - ब्लाग पढ रहे सभी सज्जनों से निवेदन है कि इन पंक्तियों का धर्म सम्मत विश्लेषण करने की कृपा करें ।

भजन - 1 प्रथम गुरु की वन्दना ( प्रथम दो पंक्तियाँ )

गुरुवर श्री लक्ष्मीनारायण जी महाराज ने अपने प्रथम गुरु , विभीषण जी ( भक्ति के आचार्य ) की वन्दना करते हुए इस प्रथम भजन की रचना की : श्री कुबेर के कनिष्ठ भ्राता धर्म नीति दर्शाने वाले , बुद्धि बृहस्पति के सम जिनकी वानर कुल हर्षाने वाले । रामचन्द्र के सखा सुहाने लंका नगरी ढाने वाले , ब्रह्मा जी से मनवांछित भक्ति वरदान के पाने वाले । निवेदन - ब्लाग पढ रहे सभी सज्जनों से निवेदन है कि इन पंक्तियों का धर्म सम्मत विश्लेषण करने की कृपा करें ।

अनमोल 45 भजनों का सत्संग

जिस प्रकार हनुमान जी माहाराज ने तुलसीदास जी पर कृपा करी और उन्होने रघुकुल भूषण श्री रामचनद्र जी माहाराज की अत्यंत कृपा से श्री रामचरित मानस की रचना की, उसी प्रकार हनुमान जी माहाराज ने स्वामी रामकृष्ण परम्हंस के अवतार गुरुवर श्री लक्ष्मीनारायण जी माहाराज पर कृपा करी व सरस्वती माँ की कृपा से उन्होंने 45 अनमोल भजनों की रचना करी। तो आइए इस ब्लाग के माध्यम से इन 45 भजनों का सत्संग रूपी रसास्वादन लें।

भगवत् सत्संग

श्री कल्कि भगवान , भगवान विष्णु के दसवें प्रमुख अवतार, कलिकाल का अंत करने हेतु अवतरित होते हैं। इस blog का प्रयोजन भगवत् सत्संग है।