भजन - 1 प्रथम गुरु की वन्दना ( प्रथम दो पंक्तियाँ )

गुरुवर श्री लक्ष्मीनारायण जी महाराज ने अपने प्रथम गुरु , विभीषण जी ( भक्ति के आचार्य ) की वन्दना करते हुए इस प्रथम भजन की रचना की :

श्री कुबेर के कनिष्ठ भ्राता धर्म नीति दर्शाने वाले ,
बुद्धि बृहस्पति के सम जिनकी वानर कुल हर्षाने वाले ।

रामचन्द्र के सखा सुहाने लंका नगरी ढाने वाले ,
ब्रह्मा जी से मनवांछित भक्ति वरदान के पाने वाले ।

निवेदन - ब्लाग पढ रहे सभी सज्जनों से निवेदन है कि इन पंक्तियों का धर्म सम्मत विश्लेषण करने की कृपा करें ।

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